नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।
स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः ।
ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
गिरिन्द्रात्मजासंग्रहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदा सन्नगेहम् ।
शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
अस्तुति चालीसा शिविही, सम्पूर्ण कीन कल्याण ॥
Glory to Girija’s consort Shiva, who is compassionate to the destitute, who normally shields the saintly, the moon on whose forehead sheds its stunning lustre, and in whose ears tend to be the pendants of your cobra hood.
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे read more कलेशा॥
चालिसा भगवान शिवाशी मजबूत आध्यात्मिक संबंध निर्माण करण्यास मदत करते. दररोज श्री शिव चालिसाचा जप केल्याने भक्ताला शांती, आंतरिक शक्ती आणि आध्यात्मिक वाढ मिळेल.